बेदर्दी से भूजल दोहन बना घातक
रघुवीर शर्मा जिस प्रकार जुंआरी जल्दी धन कमाने की लालसा में खाली होने के बावजूद दांव पर दांव खेलता है और अन्तत: कंगाल हो जाता है। यही हालत आजकल राजस्थान प्रदेश के हाड़ौती क्षेत्र (कोटा-बूंदी-बारां व झालावाड़) के किसानों की हो रही है। अब शीत ऋतु में ही गांवों में पेयजल किल्लत की खबरें आना शुरू हो गई है। तो ग्रीष्म काल का अंदाजा अपने आप लग जाता है।
गत तीन चार वर्षो से अल्प वर्षा के चलते हाडौती अंचल का किसान पानी की लालसा में अपनी जीवनभर की कमाई को जमीन के दोहन में लगाकर कंगाल होने की श्रेणी में आ गया है। वर्षा की कमी के कारण कृषक वर्ग ने अपनी फसलों को पानी की कमी पूरा करने के लिए धरती के सीने को छेदा, हजारों की तादाद में किए बोरवेलों से भरपूर पानी निकाला और कृषि कार्य को अंजाम दिया। लेकिन अब भू जल भी जवाब दे गया है।
इसका परिणाम यह रहा कि हमारे बुजुर्गो की धरोहर जिन्हें उन्होंने गंगा-जमना मानकर संभाले रखा और समय-समय पर पूजा भी वह कुंए-बावड़िया सूखती चली गई। वर्तमान में तो मानों इनका वजूद ही समाप्त सा हो गया है। धरती का पानी निकाल अच्छी फसलें तो किसानों ने कर ली। मुनाफा भी कमाया। लेकिन वह सब भौतिकता की भेंट चढ़ गया। सुविधा भोगी हुए किसान ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रकृति का दोहन तो कर लिया लेकिन अब उसके पास कुछ नहीं बचा है। अब पशुओं और इंसानों के सामने पेयजल संकट की भारी समस्या आ खड़ी हुई है। वर्तमान में भी यह हाल है कि होडौती क्षेत्र के गांवों में किसान खेतों में खड़ी हजारों बीघा फसलें जिनमें गेहंू, सरसों, चना, लहसुन, व अन्य फसलें है को धरती के कलेजे में शेष बचे पानी को निकाल कर पिलाने में जुटा है। उसे आने वाली गर्मी के जल संकट की कोई चिन्ता नहीं दिखाई दे रही है। उसकी चिन्ता उसने सरकार पर छोड़ दी है। राजनेता व प्रशासन के अधिकारी भी गर्मी में पेयजल संकट को देखते हुए योजना बनाने में जुट गये है। उनको तो इस संकट में भी मलाई मिलने वाली है। गांवों में पीने का पानी सप्लाई होगा। हजारों टेंकरों के बिल बनेंगे। लाखों की हेरफेर होगी। नेताओं के कारिन्दें अपनी जेबें भरेंगे गर्मी निकल जाएगी। और फिर सब जस का तस हो जाएगा।
ऐसी कैसी दीवानगी
पानी के लिए क्षेत्र का किसान इस कदर दीवाना है कि वह ट्यूबवेल के लिए वोरिंग कराते समय एक-दो बोर खाली हो जाने की परवाह नहीं कर लगातार चार-पांच बोरिंग कराता रहता है। चाहे उसे अपने कीमती गहने बेचकर व जमीन गिरवी रखकर ही पैसा क्यों नहीं चुकाना पड़े। इसके लिए दूसरे प्रदेशों से बोरिंग मशीने भी काफी मात्रा में क्षेत्र में विचरण करती दिखाई देती है। उन्होंने स्थानीय लोगों को अपना एजेन्ट बनाया हुआ है जो इनके लिए ग्राहक तलाशते रहते है।
रघुवीर शर्मा जिस प्रकार जुंआरी जल्दी धन कमाने की लालसा में खाली होने के बावजूद दांव पर दांव खेलता है और अन्तत: कंगाल हो जाता है। यही हालत आजकल राजस्थान प्रदेश के हाड़ौती क्षेत्र (कोटा-बूंदी-बारां व झालावाड़) के किसानों की हो रही है। अब शीत ऋतु में ही गांवों में पेयजल किल्लत की खबरें आना शुरू हो गई है। तो ग्रीष्म काल का अंदाजा अपने आप लग जाता है।
गत तीन चार वर्षो से अल्प वर्षा के चलते हाडौती अंचल का किसान पानी की लालसा में अपनी जीवनभर की कमाई को जमीन के दोहन में लगाकर कंगाल होने की श्रेणी में आ गया है। वर्षा की कमी के कारण कृषक वर्ग ने अपनी फसलों को पानी की कमी पूरा करने के लिए धरती के सीने को छेदा, हजारों की तादाद में किए बोरवेलों से भरपूर पानी निकाला और कृषि कार्य को अंजाम दिया। लेकिन अब भू जल भी जवाब दे गया है।
इसका परिणाम यह रहा कि हमारे बुजुर्गो की धरोहर जिन्हें उन्होंने गंगा-जमना मानकर संभाले रखा और समय-समय पर पूजा भी वह कुंए-बावड़िया सूखती चली गई। वर्तमान में तो मानों इनका वजूद ही समाप्त सा हो गया है। धरती का पानी निकाल अच्छी फसलें तो किसानों ने कर ली। मुनाफा भी कमाया। लेकिन वह सब भौतिकता की भेंट चढ़ गया। सुविधा भोगी हुए किसान ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रकृति का दोहन तो कर लिया लेकिन अब उसके पास कुछ नहीं बचा है। अब पशुओं और इंसानों के सामने पेयजल संकट की भारी समस्या आ खड़ी हुई है। वर्तमान में भी यह हाल है कि होडौती क्षेत्र के गांवों में किसान खेतों में खड़ी हजारों बीघा फसलें जिनमें गेहंू, सरसों, चना, लहसुन, व अन्य फसलें है को धरती के कलेजे में शेष बचे पानी को निकाल कर पिलाने में जुटा है। उसे आने वाली गर्मी के जल संकट की कोई चिन्ता नहीं दिखाई दे रही है। उसकी चिन्ता उसने सरकार पर छोड़ दी है। राजनेता व प्रशासन के अधिकारी भी गर्मी में पेयजल संकट को देखते हुए योजना बनाने में जुट गये है। उनको तो इस संकट में भी मलाई मिलने वाली है। गांवों में पीने का पानी सप्लाई होगा। हजारों टेंकरों के बिल बनेंगे। लाखों की हेरफेर होगी। नेताओं के कारिन्दें अपनी जेबें भरेंगे गर्मी निकल जाएगी। और फिर सब जस का तस हो जाएगा।
ऐसी कैसी दीवानगी
पानी के लिए क्षेत्र का किसान इस कदर दीवाना है कि वह ट्यूबवेल के लिए वोरिंग कराते समय एक-दो बोर खाली हो जाने की परवाह नहीं कर लगातार चार-पांच बोरिंग कराता रहता है। चाहे उसे अपने कीमती गहने बेचकर व जमीन गिरवी रखकर ही पैसा क्यों नहीं चुकाना पड़े। इसके लिए दूसरे प्रदेशों से बोरिंग मशीने भी काफी मात्रा में क्षेत्र में विचरण करती दिखाई देती है। उन्होंने स्थानीय लोगों को अपना एजेन्ट बनाया हुआ है जो इनके लिए ग्राहक तलाशते रहते है।
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Raghuveer Sharma
B-226, Mahavir Nagar-I
Jhalawad Road, Kota-324005
Rajsthan.9772222651