Sunday, February 13, 2011

करोड़ों का व्यापार करने वाला, पहचान को तरसता कोटा का एक कस्बा

रघुवीर शर्माकरोड़ों का व्यापार, खनिज संपदा अपार, औद्योगिक स्तर पर गुलजार, कृषि की भरपूर पैदावार फिर भी नाम की दरकार यह कहानी है कोटा के रामगंजमंडी क्षेत्र की। रामगंजमंडी विशेषताएं तो अपने आप में खूब समेटे है, लेकिन वह नाम से दूसरों के जानी जाती है। रामगंजमंड़ी क्षेत्र में उत्पादित धनिया हो या लाइम स्टोन पसंद बहुत किये जाते है पर अपने नाम से नहीं पहचाने जाते, इसका कारण यहां के व्यापारी कमाई का गुण तो जानते हैं पर अपनी पहचान बनाने आज तक नहीं बना पाये।
                                                 स्टोन को मिला कोटा का नामरामगंजमंड़ी क्षेत्र में लाइम स्टोन की अपार खनिज संपदा जमीन में दबी है। यहां निकलने वाला पत्थर पूरे देश ही नहीं वरन् विदेश में भी अपनी पहचान बना चुका है, लेकिन इसकी पहचान रामगंजमंड़ी के नाम से नहीं होकर कोटा स्टोन के नाम से है, जबकि कोटा शहर के समीप छोटे से गांव में मंडाना में निकलने वाला पत्थर अपना पहचान रेड मंडाना के नाम से बनाने में कामयाब रहा है। वहीं रामगंजमंड़ी से सटे खीमच ग्राम में निकलने वाले खनिज ने खीमच पट्टी के नाम से पहचान बनाई है।
                                                      देश भर से आते हैं धनिया व्यापारी

यह सर्व विदित है कि रामगंजमंड़ी में कस्बे में धनिये का व्यापार काफी बड़ा है देश के हर कोने के व्यापारी  यहां से धनिए की खरीद करते है लेकिन जब उच्च क्वालिटी का नाम आता है तो बीनागंज व गुना का धनियां बाजी मार जाता है। वहीं उड़द जावरा के नाम से मशहूर है तो नीमच का नाम भी पोस्ता के लिए जाना जाता है हालांकि अब वहां इसका उत्पादन काफी कम हो गया है।
                                                     राजनीति में बाहरी सरताजयह तो थी व्यापार और कृषि उत्पादों की बात अब राजनीति के पन्ने पलट कर देखे तो यहां भी यही हाल नजर आते है। यहां के राजनेता भी स्थानीय के बजाय बाहर के व्यक्ति को सरताज बनाना पसंद रते हैं। दोनों प्रमुख दल भाजपा हो या कांग्रेस के स्थानीय जनता ने बाहर के नेताओं को मंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया। लेकिन उन नेताओं को आज भी राजनीति में रामगंजमंड़ी क्षेत्र के नेता के नाम से नहीं जाना जाता। जिस प्रकार जिस प्रकार रामगंजमंड़ी के नाम से धनियां, कोटा स्टोन व राजनेता नहीं जाने जाते वहीं हाल अब स्थानीय लेवल के नेताओं का भी हो गया है वह भी रामंगंजमड़ी के नेता नहीं होकर कोई धारीवालजी के यह वर्माजी के तथा कोई बैरवा जी, तो कोई मेघवालजी, भायाजी और गुंजलजी के नाम से पहचाने जाने लगे है। 

7 comments:

  1. इस को तो रामगंजमंडी की बदनसीबी ही कह सकते हैं जो आज तक अपने नाम की पहिचान नहीं बना सका|

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  2. इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|

    अनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -

    वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
    बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!

    शुभाकॉंक्षी|
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  3. अच्छी जानकारी - रामगंजमंडी को अपनी पहचान मिलनी चाहिए

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  5. bahut hi achhi jankari di hai aapne. dhanywad sahit...

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  6. अच्छी शुरुआत।
    शोभनम्।
    स्वागत है आपका
    आइये हिन्दी
    एवं हिन्दी ब्लॉग जगत् को सुशोभित कीजिये
    इसे समृद्ध बनाइये।

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  7. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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